
One Word Review : Excellent
Review by : Abhinandan Dwivedi (Journalist, Former Radio Jockey)
“सच्चाई की जीत युग की मोहताज़ नहीं होती, जितनी बार रामायण लिखी जाएगी, जीत राम की होगी”, “गूगल पर टाइप कर लें बाजीराव सिंघम, पता चल जाएगा तेरा बाप चीज क्या है”, “जो भारत का भविष्य बदलने की कोशिश करता है उसे भारत इतिहास बना देता है”, “शेर आतंक मचाता है और जख्मी शेर तबाही”, जैसे कुछ और बेहतरीन Dialogue, Glamour की छांव में बिखरती कहानी, बेहतरीन Screenplay, ताबड़तोड़ एक्शन, अजय देवगन का शेर अवतार, दीपिका और टाइगर का फ़िल्म में होने नहीं होने पर उठते सवाल ? रोहित शेट्टी का बढ़िया डायरेक्शन, रामायण की पृष्ठभूमि, कलयुग का रावण कितना पराक्रमी ? कश्मीर की वादियां, लंका की रमणीक यादों से सजी है फ़िल्म सिंघम अगेन।
Special Mention
सूर्यवंशी अक्षय कुमार केंद्रित फ़िल्म थी, लेकिन सिंघम अगेन सिंघम की फ़िल्म बनने से कोसों दूर दिखाई पड़ती है। क्या Star cast ही एक Multiverse फ़िल्म की अवधारणा है या कहानी भी मुख्य भूमिका में अपना योगदान रखती है शायद हिंदी सिनेमा या रोहित शेट्टी इसको कितना समझ पाए ? ये एक मूल्यांकन का विषय हो सकता है।
फ़िल्म सिंघम की जरूर है लेकिन सबसे ज्यादा सिट्टी और ताली अक्षय कुमार की एंट्री पर बजती है। दर्शकों को खिलाड़ियों का खिलाड़ी जैसा कुछ अनुभव जरूर याद आता है। Story Screenplay Dialogue कुछ जगह बहुत शानदार है, कुछ जगह जरूरत जैसा नहीं भी लगता। कई बार ऐसा लगता है कि Starcast के Glamour को दिखाने के लिए कहानी का बस एक सहारा लिया गया है। लेकिन एक्शन के साथ ऐसा नहीं है। आप एक्शन सीन को ख़ूब एन्जॉय करेंगे, आप चिल्लाएंगे, आप रोमांचित भी होंगे। Screenplay को बहुत जानदार तरीके से पेश करने की कोशिश हुई है। Dialogue फ़िल्म के सेकंड हाफ में अच्छा है। Arjun Kapoor को बस Villain का ओहदा दिया गया है, शायद उनके किरदार के साथ कहानी भी रहती तो फ़िल्म में दिखाया गया कलयुग का रावण और दुःशाषित बन सकता था। फ़िल्म का अंत बहुत फीका लगता है। Ravi Basrur का Background Score आपके अंदर खलबली पैदा करती है, फ़िल्म के BGM पर मेहनत किया गया है। Tiger और Deepika की फ़िल्म में जरूरत क्यों आन पड़ी, इसका मूल्यांकन करना मुश्किल है।
Story
फ़िल्म की कहानी क्षितिज पटवर्धन ने लिखी है। लेकिन क्या और क्यों लिखी है इसको समझने में पूरा दर्शक वर्ग अपना माथा पिट रहा है। ऐसा लगता है कि एक सुपरहिट फ्रैंचाइज़ी को आगे बढ़ाने के लिए मेकर्स के पास कोई कहानी नहीं थी, इसीलिए उन्होंने Starcast और So Called Glamour के साथ रामायण की पृष्ठभूमि का सहारा ले कर, एक आधी पकाई रोटी दर्शक के बीच रख दिया। Singham, Singham Returns के कहानी की तुलना भी Singham Again से करना बाकी पिछली दोनों फिल्मों के साथ नाइंसाफी होगी। शायद यही कारण है कि जब कोई स्टार स्क्रीन पर आता है तब दर्शक खुश हो उठते हैं बाकी समय फ़िल्म में कोई स्पार्क नहीं दिखता।
फ़िल्म की कहानी वही से शुरू होती है जहां इस Cop Universe की पिछली फिल्म Sooryavnshi के साथ खत्म हुई थी। अजय देवगन से साथ फ़िल्म की फर्स्ट फ्रेम खुलती है और उमर हफ़ीज़ को पकड़ने के लिए सिंघम अपनी जी जान लगा देता है। पकड़े जाने के बाद उमर हफ़ीज़ ये कहते हुए की संग्राम “सिम्बा” भालेराव और वीर सूर्यवंशी पर अपने बेटों की हत्या करने का आरोप लगाकर धमकाता है। Cut to कहानी 2 साल बाद पहुँचती है जहां अवनि (Kareena Kapoor) रामायण नाम के एक शो की सूत्रधार रहती है। शो के ज़रिए अवनि राम और सीता जी जीवन यात्रा को दर्शकों तक पहुँचाती है। दूसरी तरफ सिंघम श्रीलंका से तमिलनाडु की जा रहे एक ड्रग्स से भरे जहाज को पकड़ता है और चार लोगों को गिरफ्तार कर लेता है। गिरफ्तार हुए लोगों से पूछताछ में पता चलता है कि वो सभी डेंजर लंका (अर्जुन कपूर) के लिए काम करते हैं। डेंजर लंका के तीन ख़ास आदमी मदुरै नामक एक जगह पर रहते हैं जिन्हें पकड़ने के लिए सिंघम वहां की डीसीपी शक्ति शेट्टी (दीपिका पादुकोण) से पकड़ने को कहता है। यहां फ़िल्म में एंट्री होती है डेंजर लंका (अर्जुन कपूर) की जो पुलिस स्टेशन में घुसकर 15 पुलिस वालों को मार देता है।
कहानी आगे बढ़ती है और साथ ही फ़िल्म में रामायण के कहानी और उसकी पृष्ठभूमि को भी निर्देशक समानांतर दिखाने की कोशिश करते हैं जिससे कि दर्शक को फ़िल्म का मतलब समझ आये। लेकिन बीच बीच में कहानी में रामायण का आना दर्शक को एंटरटेन कम, फ़िल्म को धीमा जरूर कर देता है।
अपने शो की कुछ सीन को शूट करने के लिए अवनि (करीना कपूर) रामेश्वरम जाती है, जहां उसे डेंजर लंका (अर्जुन कपूर) किडनैप कर लेता है। इसी बीच टाइगर श्रॉफ की भी कहानी में एक जबरदस्त एंट्री होती है लेकिन उसपे पीछे का प्लाट बताने के लिए लेखक या डायरेक्टर के पास कोई वाजिब कारण नहीं है। क्या सिंघम अपनी सीता को रावण से छुड़ा पाता है ? कैसे सिंघम का साथ देने सिम्बा औए सूर्यवंशी आते हैं ? डेंजर लंका कौन है और वो सिंघम से किस बात का बदला ले रहा है ? ऐसे और भी सवालों का जवाब आपको फ़िल्म के खत्म होने तक मिलता है।
Screenplay & Dialogue
फ़िल्म के Dialogue मिलाप जावेरी सहित 3 और लोगों ने लिखे हैं जिनमे से रोहित शेट्टी भी एक हैं। मिलाप जावेरी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने इसके पहले सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते 2, एक विलेन, हॉउसफुल, ग्रैंड मस्ती जैसे और भी बहुत सारी फिल्मों की कहानी लिख चुके है। मिलाप की कलम पर शक करना ठीक भी नहीं है बशर्ते कि फ़िल्म की कहानी आप तक पहुँच नहीं जाती। सिंघम अगेन में मिलाप जावेरी के काम की तारीफ़ करना उचित लगता है। कुछ ऐसे Dialogue हैं जो वाकई आपको ताली बजाने पर मजबूर करते हैं। आपको मज़ा आता है।
फ़िल्म का Screenplay कुल 6 लोगों ने लिखा है, जिसमे एक नाम ख़ुद रोहित शेट्टी का भी है। Screenplay अच्छा लगता है। फ्रेम देख कर अंदर रोमांच पैदा होता है। अक्षय कुमार, अजय देवगन के कुछ सीन को देख लगता है कि Screenplay पर बेहतर काम हुआ है।
Actors Performance
एक लंबी स्टारकास्ट वाली फिल्म में जहां Glamour फ़िल्म का एक मजबूत हिस्सा हैं वहां परफॉर्मेंस पर बात महज एक खानापूर्ति ही लगता है। क्यों कि फ़िल्म भी अपने स्टार्टकास्ट को ही दिखाने में अवल साबित हुई है। Performance पर काम कम ही किया गया है। रणवीर सिंह के परफॉर्मेंस पर यहां थोड़ी बात करनी जरूरी है। अपने एंट्री से लेकर अंत तक रणवीर अपने काम से दर्शकों के चेहरे पर हँसी ला पाते हैं। उनके Dialogue लोगों को हँसातें हैं, उनके एक्शन करने का स्टाइल दर्शकों को सिट्टी मारने पर मजबूर करते हैं। एक और बड़ा नाम जिनको स्क्रीन पर देखते ही दर्शक की चाहत बढ़ जाती है वो नाम श्वेता तिवारी का है। लेकिन फ़िल्म में उनका होना क्यों जरूरी है, ये बताने में निर्दशक विफल रहा है। श्वेता तिवारी के होने ना होने से सिनेमा हॉल में दर्शकों को कोई फर्क नहीं पड़ा। शायद इसलिए भी क्यों कि उनको फ़िल्म में करने के लिए क्या था, ये अभी भी सवालों के घेरे में है। डेंजर लंका के किरदार में अर्जुन कपूर अपने एक्शन से जरूर एक मजबूत छाप छोड़ने में कामयाब हो पाए हैं लेकिन एक रावण की इतनी आसान मौत को देख दर्शक बस सोच में पड़ जाता है। रावण के अंत के लिए निर्देशक और लेखक दोनों के पास कुछ नहीं था, इसलिए भी लगता है कि अर्जुन कपूर के किरदार को बस रामायण का सहारा दे कर मजबूत करने की कोशिश रही। किरदार के साथ कोई मजबूत कहानी नहीं होने से फ़िल्म में अर्जुन कपूर ख़ौफ़नाक तो दिखते हैं लेकिन अंत में सबसे कमजोर रावण की झलक उनमें दिखती है।
Direction
सिंघम की वजह से निर्देशक रोहित शेट्टी की चर्चा सबसे ज्यादा होती रही है। उसके बाद सिंघम रिटर्न ने रोहित शेट्टी को बड़े मुकाम पर जरूर पहुँचाया। इस बीच गोलमाल फ़्रेंचाइज़ की फिल्मों ने भी दर्शकों को खूब हंसाया। लेकिन शायद इसलिए भी ये सभी फिल्में आज भी याद हैं क्योंकि सभी कहानी के साथ किरदारों का एक अंदाज़ जुड़ा था, जिसको देख दर्शक पागल हो जाया करते थे। तब शायद स्टार फैक्टर पर रोहित शेट्टी कम काम करते थे। उनके पास अपना एक फ्लॉवर था, चाहे वो मसाला फ़िल्म बनाने का अंदाज़ हो, गाड़ियों को हवा में उड़ाने का स्टाइल हो, कॉमेडी एलिमेंट्स को दर्शकों तक पड़ोसन का अलग तरीका रहा हो, वो सबमे अवल रहे।
लेकिन सिंघम अगेन में सिर्फ स्टारकास्ट के भरोसे, कहानी को ताक पर रखते हुए, रोहित शेट्टी की ये फ़िल्म उनके लाइमलाइट पर एक दाग तो जरूर देती जाएगी। सीधा एक लाइन में अगर निर्देशक की काम पर समीक्षा करें, तो बात यही है कि जो चीज सिंघम अगेन में दर्शक देखने गयी थी उसे वो मात्र 60 प्रतिशत ही मिल पाया, वो भी इसलिए क्योंकि बड़े नाम की लंबी कतार थी बाकी और कुछ नहीं।
क्यों देखे ये फ़िल्म ?
अजय देवगन के सिंघम अवतार के फैन हैं, अक्षय कुमार को एक्शन करते देखना चाहते हैं, Ravi Basrur के BGM को 70mm की भव्यता पर महसूस करना चाहते हैं, अर्जुन कपूर को अब तक के सबसे अलग अवतार में देखने के लिए उतारू हैं, तो ये फ़िल्म आपके लिए हैं।