हम वही लिखेंगे, जो आप पढ़ेंगे।
एक ऐसी कोठरी जहां हर ‘रस’ के जलपान का उत्तम स्वाद के साथ प्रबन्ध किया गया है। सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग, हर युग का इतिहास अपने साहित्य को संजोय हुए है। ये तत्प्रता घोर कलयुग में कही बिखरा नज़र आ रहा है। Rachnakosh.in का उद्देश्य या यूं कह ले प्रमुख कर्तव्य उन बिखरे हुए साहित्य को अपने इस कोठरी में सुनहरे अक्षरों में सजाना है। बाकी हम आपका भी स्वागत करते हैं, आइए अपने सुशोभित रचना के साथ और बनिये Rachnakosh.in के कोठरी का हिस्सा।

राष्ट्रकवि
दुरसा जी आढ़ा (ई. 1535-1655) भारत के 16वीं सदी के योद्धा और राजस्थानी ( डिंगल ) भारत प्रथम राष्ट्रकवि कवि थे।

सुब्रह्मण्य भारती (ई. 1882-1921)
सुब्रह्मण्य भारती एक तमिल कवि थे। उनको 'महाकवि भारतियार' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे।

मंजेश्वर गोविंदा पई (1883-1963)
मंजेश्वर गोविंदा पाई (23 मार्च 1883 - 6 सितंबर 1963), जिन्हें रस्त्रकवि गोविंदा पाई के नाम से भी जाना जाता है, एक कन्नड़ कवि थे। उन्हें मद्रास सरकार द्वारा पहली राष्ट्रकवि उपाधि से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रकवि एम. गोविंदा पई ही थे जिन्होंने मंजेश्वरा (अब केरल में) को भारत के साहित्यिक मानचित्र पर रखा।

मैथिलीशरण गुप्त (ई. 1886-1964)
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी और इसी कारण महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी

कुप्पाली वी गौड़ा पुटप्पा (ई. 1904-1994)
कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा एक कन्नड़ लेखक एवं कवि थे, जिन्हें २०वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी जाती है। ये कन्नड़ भाषा में ज्ञानपीठ सम्मान पाने वाले आठ व्यक्तियों में प्रथम थे।

हरिवंश राय बच्चन (1907-2003)
हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। उनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 में साँस की बीमारी की वजह से मुम्बई में हुई थी।

रामधारी सिंह 'दिनकर' (ई. 1908-1974)

कवि प्रदीप (ई. 1915-1998)
कवि प्रदीप भारतीय कवि एवं गीतकार थे जो देशभक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों की रचना के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था।

जी. एस. शिवरुद्रप्पा (ई. 1926-2013)
जी. एस. शिवरुद्रप्पा कन्नड़ भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना काव्यार्थ चिन्तन के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

बालकवि बैरागी (ई. 1931-2018)
बालकवि बैरागी (जन्म नंद रामदास बैरागी; 10 फरवरी 1931 - 13 मई 2018) राष्ट्रकवि बालकवि बैरागी [2] भारत के एक हिंदी कवि, फिल्म गीतकार और राजनीतिज्ञ थे। मालवी में उनके गीत, जैसे कि बहुत लोकप्रिय 'पनिहारी' (पानी ले जाने वाली महिला) ने मालवा (मालवा) के क्षेत्र में बोली जाने वाली हिंदी बोली को मुख्यधारा के हिंदी कविता परिदृश्य में एक मंच दिया। वह उन कई लोगों में से एक थे जिन्हें राष्ट्रकवि ('राष्ट्रीय कवि') के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। वे 1998 से 2004 तक मध्य प्रदेश से राज्य सभा के सांसद रहे।
रचनाकार
रचनाकोश के रचनाकार