शैलेंद्र वाला भोजपुरी याद आवेला।

saroj kumar mishra anjana
सरोज कु. मिश्रा (अनजाना)

शैलेंद्र वाला भोजपुरी: भोजपुरी पर अश्लीलता के दाग लाग चुकल बा। ऐ बात से केहु इंकार आज के समय में नईखे कर सकत । भोजपुरी धनी रहे आउर अबहूँ बा ई बात से भी मुँह नईखे फेरल जा सकत । एगो समय रहे जब फिल्मी दुनिया के आसमान के सितारा भोजपुरी सिनेमा के धरती पर उतरल रहे लोग आउर भोजपुरी सामाज पूरा चमक गइल रहे । आज उहे चमक के चाह में भोजपुरी भटकत बिया। एकर ज़िम्मेवार के बा ई बात कहल संभव नईखे। भोजपुरी सिनेमा जेतना एकरा सम्मान के उंच कईले रहे ओहिजा एकर संगीत धीरे-धीरे अश्लीलता के अन्हरिया में एकरा के धकेल देलख और ऊ चमक अइसे गायब हो गईल जैसे दिन के अंजोर में जोन्ही।


शैलेंद्र वाला भोजपुरी सुनहरा आगाज : अतीत के ऐनक में जब-जब हमनी देखेम सन तब भोजपुरी के ऊ दौर के चेहरा ज़रूर लउकी जब भोजपुरी के पहिला फिलीम “गंगा मैया तोहें पियरी चढ़ैबो” 22 फरवरी 1963 के, पटना के वीणा सिनेमा में रिलीज भइल। आज के पीढ़ी जवन फेसबुक आउर इंस्टाग्राम पर रील बना के भोजपुरी के अश्लील कहता, ओकरा ई बात के जान आश्चर्य होई कि भोजपुरी के पहिला फिलीम के गीत रफ़ी साहेब और लता जी जईसन महान लोग गईलख आ ओतने ना गीतकार शैलेंद्र ऐ फिलीम ला गीत लिखले और चित्रगुप्त जी (सिवान) संगीत देले रहीं । ‘शैलेंद्र’ के बेस्ट गीतकार आउर ‘रफ़ी साहब’ के बेस्ट सिंगर के आवर्ड ए फिलिम के गीत “सोनवाँ के पिंजरा में… ” खातिर 1965 में मिलल । रफ़ी साहेब के दुनिया आजो जानत बा । शैलेंद्र हिन्दी सिनेमा के मशहूर गीतकार में से एगो बारन । उनकर ई गीत त रउआ त ज़रूर सुनले होखेम “मै शायर तो नहीं… ” बॉबी फिलीम वाला ।


चिंतित भविष्य : भोजपुरी हमेशा अपना ओर अच्छा लोग के ले आइल बा । अब ई बात के समझे ला हमनी के तनी सा अतीत की ओर जाये के परी लेकिन सच्चाई एगो इहो बा कि ई भोजपुरी के जवन खुश्बू लोग के अपना ओर खिचत रहे, आज अश्लीलता के बदबू से अईसन भर गईल बा कि सभ्य आदमी भोजपुरी गीत सुने के नईखन चाहत, अगर कुछ कलाकार लोग के बात के नज़र अंदाज़ कर दिहल जाव तब ।

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