
“इज्ज़ते, शोहरते, चाहतें, उल्फतें, कोई भी चीज दुनिया में रहती नहीं
आज मैं हूँ जहाँ, कल कोई और था ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था”
-साहिर लुधयानवी
बात है अभिनय के आकाश के एक ऐसे सितारे की जिसने अपनी कामयाबी की सीढ़ियों से आसमान तक को छुआ। एक वक्त ऐसा भी आया जब लोग सोचने लगे कि इस सितारे की चमक कभी फीकी ही नहीं पड़ेगी। लगातार 15 सुपरहिट फिल्में देने वाले सदी के पहले सुपरस्टार थे राजेश खन्ना। 29 दिसंबर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना का पालन- पोषण उनके रिश्तेदार द्वारा हुआ। उनका असली नाम जतिन अरोरा था। राजेश की स्कूली शिक्षा मुंबई में शुरू हुई। स्कूल के समय से जतिन को नाटक का बड़ा शौख़ रहा। उन्होंने कई नाटकों में भाग भी लिए और पुरस्कार भी जीते। उनके सहपाठी थे रवि कपूर, जो आगे चलकर जितेन्द्र के नाम से फ़िल्म जगत में मशहूर हुए। यह भी एक हक़ीक़त है कि जितेन्द्र को उनकी पहली फ़िल्म में ऑडीशन देने के लिए कैमरे के सामने बोलना राजेश ने ही सिखाया। जितेन्द्र और उनकी पत्नी शोभा कपूर, राजेश खन्ना को “काका” कहकर बुलाते थे।

‘आखिरी ख़त’ से फिल्मी सफ़र की शुरुआत
राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में “आखिरी खत’’ नामक फ़िल्म में काम किया। इसके बाद राज़, बहारों के सपने, आखिरी ख़त, उनकी लगातार तीन कामयाब फ़िल्में रहीं। उन्हें असली कामयाबी 1969 में फिल्म आराधना से मिली, जो उनकी पहली प्लेटिनम सुपरहिट फ़िल्म थी। आराधना के बाद हिन्दी फ़िल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब राजेश खन्ना ने अपने नाम किया।

राजेश खन्ना की तस्वीर से लड़कियाँ शादी करने लगी
उनकी प्रसिद्धि और दीवानगी का अंदाज़ा इस बात से लगता है कि लड़कियाँ उनकी तस्वीर से शादी करने लगी थी। राजेश के पास एक वाइट कार थी, लड़कियां उसे चूम करके गुलाबी कर देती थी। इसी दौर में एक फ़िल्म आती है ‘आनंद’, जिसमें राजेश खन्ना के साथ नज़र आते हैं अमिताभ बच्चन। अमिताभ पहले भी फ़िल्म कर चुके थे लेकिन उस समय उनकी कोई ख़ास पहचान नहीं बनी थी। ‘आनंद’ की कामयाबी के बाद सदी के महानायक की कहानी शुरू हो जाती है। कुछ तथ्यों की माने तो राजेश खन्ना अपने आप को फिल्मी दुनिया में अमिताभ की वजह से असुरक्षित महसूस करने लगे थे। उन्हें ये ऐहसास हो गया था कि मुझसे ज्यादा अमिताभ को लोग पसंद ना करने लग जाए। और ठीक ऐसा ही हुआ। 1973 में अमिताभ की फिल्म ‘जंजीर’ सुपरहिट रही। राजेश अमिताभ से इतनी ईर्ष्या करने लगे, उन्होंने उनसे बात तक करना बंद कर दिया।

अभिनेत्री मुमताज़ ने काका के चलते फिल्मी दुनिया से तोड़ लिया था नाता
अगर राजेश खन्ना की निजी जिंदगी देखी जाए तो उन्होंने 1973 में उस समय की फैशन डिजाइनर डिम्पल कपाड़िया से शादी कर ली। अपनी शादी से राजेश तो खुश थे लेकिन उनके साथ लगातार 8 सुपरहिट फिल्में देने वाली अभिनेत्री मुमताज को ये बात शायद रास नहीं आई। अपनी शादी के बाद राजेश और मुमताज़ ने तीन फिल्में साथ में किया। उसके बाद मुमताज़ ने हमेशा के लिए फिल्मी दुनिया से नाता तोड़ लिया। 1973 में ही राजेश की पत्नी की फ़िल्म आती है बॉबी, ये फिल्म सुपरहिट रही है और वही से दोनों के बीच संबंध बिगड़ने लगे। बात तलाक की आ गई। लगभग 1984-1990 तक दोनों अलग रहें, फिर 1990 में एक साथ रहना शुरू कर दिए।

उदासी और तनहाई में बीता अंतिम क्षण
वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष, 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। लेकिन कहते है… हर सुहानी सुबह की एक ढलती शाम भी होती है। ठीक ऐसा ही हुआ, 1996 के बाद राजेश खन्ना फिल्मी सफ़र को आगे बढ़ाना चाहते थे लेकिन वो ऐसा नहीं कर पाए। समय के साथ राजेश अकेले होते गए। धीरे-धीरे माया नगरी की चकाचौंध खत्म हो गई। जीवन के अंतिम क्षण बहुत बुरे बीते। जिसे इस दुनिया ने एक्टर बनया, एक्टर से स्टार बनाया और फिर स्टार से सुपरस्टार बनाया, उसे इस दुनिया ने एक दिन ख़ाक में मिला दिया। जून 2012 में यह सूचना आई कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं। उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। 18 जुलाई 2012 को सुपरस्टार राजेश खन्ना ने अपने चाहने वालों को अलविदा कह दिया।
शोध एंव लेखन – अलबेला