भोपाल: मध्य प्रदेश के ओरछा में ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को की हिस्टोरिक अर्बन लैंडस्केप (एचयूएल) पहल के तहत सोमवार को होटल बेतवा रिट्रीट में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह पहल मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड के सहयोग से ग्वालियर और ओरछा के लिए लागू होगी, जो दक्षिण एशिया में पहली बार यूनेस्को द्वारा चुने गए शहर हैं। यूनेस्को ने 24 मई 2023 को इन शहरों के लिए अंतिम एचयूएल रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें ऐतिहासिक इमारतों के आसपास निर्माण के लिए मास्टर प्लान और विशेष दिशानिर्देश शामिल हैं। इन सिफारिशों को ओरछा के मास्टर प्लान में शामिल करने के लिए विभिन्न विभागों को भेजा गया है।
ओरछा की संस्कृति को मिल रहा वैश्विक पहचान : अपर प्रबंध संचालक
अपर प्रबंध संचालक, मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड, सुश्री बिदिशा मुखर्जी ने इस मौके पर कहा की ओरछा की ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एचयूएल पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी। ओरछा का बढ़ता पर्यटन क्षेत्र हमारी सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर पहचान दिला रहा है।

ओरछा के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर होगा तैयार
कार्यशाला में ओरछा की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास पर चर्चा हुई। इस दौरान हेरिटेज वाक का आयोजन भी किया गया। यूनेस्को की यह पहल 2011 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य शहरी विरासत को संरक्षित करते हुए सतत विकास को बढ़ावा देना है। कार्यशाला में यह भी निर्णय लिया गया कि ओरछा में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का वार्षिक कैलेंडर तैयार किया जाएगा, ताकि इसे वैश्विक पहचान मिल सके।