
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक, अंग्रेजी पत्रिका ‘द लीडर ‘ के प्रकाशक, हिंदू महासभा के संस्थापक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष। एक प्रखर राष्ट्रवादी, शिक्षक, वकील, पत्रकार और समाज सुधारक मदन मोहन मालवीय का जन्म प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में 25 दिसंबर 1861 को हुआ था। पिता पंडित ब्रजनाथ मालवीय कथा वाचक थे। सात भाई बहनों में मदन मोहन पांचवे भाई थे। अपने पिता जी की तरह ही मदन मोहन कथावाचक बनना चाहते थे, लेकिन गरीबी के कारण इन्हें शिक्षक की नौकरी करनी पड़ी।
कैसे हुई बीएचयू की स्थापना ?
मदन मोहन मालवीय जी के लिए कर्म ही उनका जीवन था। देश की युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए विदेश ना जाना पड़े, इस उद्देश्य से मालवीय जी ने बीएचयू की स्थापना की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए मालवीय जी ने अमृतसर से दरभंगा और जोधपुर तक घूमकर चंदा इक्ट्ठा किया था। मालवीय जी विश्वविद्यालय के लिए चंदा मांगने काशी नरेश के पास भी गए। काशी नरेश ने उनके सामने प्रस्ताव रखा की सूर्ययास्त होने तक वो पैदल चलकर जितनी भूमि नाप लेंगे, उनको मिल जाएगी। परिणाम स्वरूप मालवीय जी ने 11 गांव जितनी भूमि नापी थी।

विभिन्न पत्रिकाओं का किया संपादन
पंडित मदन मोहन मालवीय ने ‘अभ्युदय’ नाम का हिन्दी साप्ताहिक पत्र शुरू किया था। इसका प्रकाशन साल 1907 में बसंत पंचमी के दिन शुरू हुआ था। इस पत्र में उन्होंने ग्रामीण लोगों की समस्याओं को अहमियत दी थी। साथ ही दैनिक ‘लीडर’, मर्यादा पत्रिका सहित अन्य अखबार और पत्रिका का प्रकाशन भी किया। साल 1924 में दिल्ली आकर ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को सुव्यवस्थित किया और इसे एक सामाजिक दर्जा भी दिलाई।

महामना और कर्मयोगी की उपाधि
महात्मा गांधी ने पंडित मदन मोहन मालवीय को ‘महामना’ की उपाधि दी थी। महात्मा गांधी ने ही सबसे पहले इस उपाधि का इस्तेमाल किया था और इसे लोकप्रिय बनाया था। ‘महामना’ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है सबसे अधिक सम्मानित व्यक्ति। पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उनके द्वारा किए उत्कृष्ट कार्यों को सम्मान देते हुए, उन्हें कर्मयोगी की उपाधि से अलंकृत किया था।
– बसुन्धरा कुमारी