
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा
– जावेद अख़्तर
हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और शायर जावेद अख्तर उन गीतकारों में से हैं जिनके लिखे गीत फिल्म के हिट होने का प्रमाणपत्र है। शायरों की विरासत से आने वाले जावेद साहेब ने जीवन के मुश्किलों को बहुत करीब से देखा और समझा है। 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्में जावेद साहेब मुंबई की मायानगरी में एक ख़्वाब लेकर आए थे।

27 रुपए लेकर मुंबई पहुंचे जावेद साहेब
अपने ख़्वाब को पूरा करने के लिए जावेद साहेब 19 साल की उम्र में मुंबई पहुंचे और काम की तलाश करने की शुरुवात की। उन्हें पहला काम फिल्मों में डायलॉग लिखने को मिला जिसके लिए उन्हें 100 रुपए मिलते थे। जावेद साहेब को नवम्बर 1969 में पहला कामयाब ब्रेक मिला था और उसके बाद उनके दिन बंबई में बदल गए।

कैसे मिली फिल्मी दुनिया में सफलता ?
जावेद साहेब के सफलता की कहानी सलीम खान के साथ कुछ अलग तरीके से शुरु हुई। सलीम खान और जावेद अख्तर भारत के सबसे लोकप्रिय लेखक जोड़ी के रूप में प्रसिद्ध हुए, जिन्होंने साथ मिलकर ‘त्रिशूल’, ‘दीवार’, ‘काला पत्थर’, ‘डॉन’, ‘शोले’, ‘मिस्टर इंडिया’ जैसी कई बेहतरीन हिट फिल्में दीं।

शोध एंव लेखन – बसुन्धरा कुमारी