
“मैं खुद पर दबाव नहीं बनने देता। मुझे सबसे पहले कुछ ऐसा बनाना है जो मुझे पसंद हो। मुझे जो पसंद है, उम्मीद है कि दर्शक भी उसे पसंद करेंगे।”
– सुभाष घई
भारतीय हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध निर्माता और निर्देशक सुभाष घई उन चुनिंदा निर्देशकों में से हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों की कहानियां स्वयं लिखी और निर्देशित की। सुभाष घई ने अपने हुनर का जादू निर्देशन, निर्माण, पटकथा और अभिनय चारों क्षेत्र में दिखाया है। 24 जनवरी 1945 को नागपुर में जन्मे सुभाष जी का सपना फिल्मों की दुनिया में जाना था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पुणे में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (FTII) में दाखिला लिया था।

एक सफल निर्देशक बनने का सफर !
सुभाष घई ने हिंदी सिनेमा में अपने सफर की शुरुवात बतौर अभिनेता के रूप में किया। उन्हें अक्सर छोटे किरदार ही मिलते थे। अपने हुनर को सही मंच देने के लिए सुभाष जी ने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘कालीचरण’ का निर्देशन किया जो की बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद कारवां बढ़ता ही चला गया और सुभाष जी ने अपने निर्देशन में हीरो, जंग, कर्मा, राम लखन, सौदागर, खलनायक, परदेस और ताल जैसी कई फिल्में बनाई जिसे दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया।
सुभाष घई ने दिए हिंदी सिनेमा को कई सुपरस्टार !
सुभाष घई ने हिंदी सिनेमा में कई नए कलाकारों को मौका दिया। जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला, श्रेयस तलपड़े जैसे मशहूर नाम इस सूची में शामिल है। इसके अलावा मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान की पहचान भी सुभाष घई की फिल्मों से खूब हुई।

सुभाष घई कैसे बने हिंदी सिनेमा के ‘दूसरे शोमैन’ ?
सुभाष घई हिंदी सिनेमा के ऐसे निर्देशक हैं, जिन्होंने अपने करियर में करीब 16 ऐसी फिल्में बनाई, जिसका लेखन और निर्देशन खुद किया है। इनमे से 13 फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई थीं। लगातार सुपरहिट फिल्में देने के कारण सुभाष जी को हिंदी सिनेमा के ‘दूसरे शोमैन’ की उपाधि से नवाज़ा जाता है।
शोध एवं लेखन – बसुन्धरा कुमारी