ग़ज़ल: जनार्दन पाठक ‘धुरंधर’
बुरी आदतों का सुधारक हो यारों।
नया साल तुमको मुबारक हो यारों॥
खुशी के मिलें दिन मुरादें हों पूरी।
नया साल गम का निवारक हो यारों॥
हमेशा कहो मुख से सच की ही बातें।
तुम्हीं बस तुम्हीं सच के कारक हो यारों॥
मिले आपको ढेर – सारी मोहब्बत।
तुम्हीं चाहतों के प्रचारक हो यारों॥
दुआयें सभी को ‘धुरंधर’ है देता।
नया साल सब-कुछ सुधारक हो यारों॥