
शीर्षक – हाँ ! हम मेहनत करते जाएंगे
आओ करें आज यह प्रण, अब हम न वक़्त गवांएगे
इस नये साल का नया हर-पल,हम नया कुछ कर जाएंगे
जाने वाला गया जो वक़्त, उसको याद करके न पछताएगे
सब जानते हैं,बीत गया जो दौर, लौट के फिर न आएगें
आने वाले अपने कल को,हम तो गले लगाएंगे
समय का सदुपयोग करेंगे,अब न व्यर्थ गवांएगे
मिल जाएगी मंजिल अपनी,बस मेहनत करते जाएंगे
किस लिए यह जन्म हुआ,इसको न भुल पाएगें
मानव बन कर आये हैं,मानव का कर्तव्य निभाएंगे
इस जननी जन्म भूमि माँ का हम तो ॠण चुकाएंगे
हिंसा की जगह ,अहिंसा की गंगा बहाएंगे
हाँ! अहिंसा की गंगा बहाएंगे
खुशी का गीत गाएंगे, वजह बन कर सबको हसाएंगे
राह में जो आये दीन- दुखी,सबको गले लगाएंगे
खिल जाएगी सुखी कलियाँ,ऐसा बारिश लाएंगे
पत्थर पे भी फूल खिलेंगे, ऐसा जोर लगाएंगे
देख कर दुनिया दंग रहेगी, बस मेहनत करते जाएंगे
हाँ! हम मेहनत करते जाएंगे
सूरज-चाँद सितारों के संग हम भी जगमगाएगे
उड़ रहे परिन्दों के संग, हम तो होड़ लगाएंगे
छू लेंगें अपनी मंजिल, ऐसी उड़ान भर जाएंगे
बिखर जाएंगे खुशबू बन कर,ऐसा नाम कर जाएंगे
माँ-बाप के आँख का तारा हम तो बन जाएंगे।
आओ करे आज यह प्रण, अब हम न वक़्त गवांएगे
इस नये साल का नया हर-पल, हम नया कुछ कर जाएंगे
जाने वाला गया जो वक़्त, उसको याद करके न पछताएंगे
आने वाले अपने कल को, हम तो गले लगाएंगें
समय का सदुपयोग करेंगे,अब न व्यर्थ गवांएगे
मिल जाएगी मंजिल अपनी, बस मेहनत करते जाएंगे
हाँ! हम मेहनत करते जाएंगे…
– रानी साह