महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि : कैसे हुई महाराणा प्रताप की ‘चेतक’ से मुलाकात ?

राणा प्रताप इस भरत भूमि के,
मुक्ति मंत्र का गायक है।
राणा प्रताप आजादी का,
अपराजित काल विधायक है।।

– पंडित नरेन्द्र मिश्र

मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप उन राजाओं में से रहें जिन्होंने दुश्मन के आगे अपना और अपने राज्य का सिर झुकने नहीं दिया। जीवन की अंतिम सांस तक केवल मातृभूमि के लिए जिए और मातृभूमि के लिए ही मरे। राजस्थान के कुंभलगढ़ किले में जन्मे महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह द्वितीय मेवाड़ के राजा थे और मां जयवंता बाई मेवाड़ की रानी।

किसने सिखाई महाराणा प्रताप को युद्ध कला ?

जिस समय महाराणा प्रताप का जन्म हुआ उस वक्त उनके पिताजी युद्ध में शामिल थे इसलिए उन्होंने अपने पुत्र को सुरक्षित रखने के लिए भील समुदाए को दे दिया। महाराणा प्रताप के बचपन का अधिकांश समय भील समुदाए के साथ बिता। भील उन्हे प्यार से ‘कीका’ कहकर संबोधित करते थे। महाराणा प्रताप ने युद्ध कला भी इसी समुदाए से सीखी थी।

कैसे हुई महाराणा प्रताप की ‘चेतक’ से मुलाकात ?

जब महाराणा प्रताप किशोर अवस्था में थे तब उन्होंने अपने घोड़े ‘ चेतक’ से मुलाकात हुई, जिसे गुजरात के व्यापारी ने मेवाड़ के राज दरबार में लाया थे। ‘चेतक’ महाराणा प्रताप का प्रिय घोड़ा था। वह उसे प्यार से ‘बुलबुल’ कहते थे। चेतक अपने महाराज के प्रति बहुत वफादार था। उसके वफादारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की जब हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सेना ने महाराणा प्रताप को घायल कर दिया तब अपने स्वामी की जान की रक्षा के लिए चेतक 25 फीट गहरे दरिया से कूद गया था।

शोध एवं लेखन – बसुन्धरा कुमारी

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