Bimal Roy Death Anniversary : सत्यजित रे को प्रेरित करने वाले फिल्मकार बिमल रॉय

भारतीय हिंदी सिनेमा के महान निर्देशक बिमल रॉय किसी पहचान के मोहताज नहीं है।अपनी निर्देशन शैली से बिमल रॉय ने भारतीय ग्रामीण जीवन का चित्रण बड़े ही रमणीक तरीके से किया है। बिमल रॉय ने अपने फिल्मी करियर की शुरुवात कलकत्ता के न्यू थिएटर प्राइवेट लिमिटेड में बतौर कैमरा असिस्टेंट के रूप में की थी लेकिन निर्देशन के प्रति उनका जुनून इस तरह था की साल 1935 में जिस ‘देवदास’ फिल्म में उन्होंने पब्लिसिटी फोटोग्राफर के रूप में काम किया था। उसी ‘देवदास’ फिल्म को साल 1955 में अपने निर्देशन में दिलीप कुमार को बतौर अभिनेता के रूप में लेकर दुबारा बनाया।

सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर अवार्ड

रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली कविता ‘दुई बीघा जोमी’ और सलिल चौधरी की लघु कहानी ‘रिक्शावाला’ पर आधारित ‘दो बीघा जमीन’ के लिए बिमल रॉय को पहली बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। यह फिल्म कला और व्यावसायिक सिनेमा को सफलतापूर्वक एक साथ लाने वाली पहली फिल्म थी। इस फिल्म में बिमल साहब ने ग्रामीण किसान के समस्याओं और अपने जमीन के लिए उसके संघर्ष को बहुत अच्छे से दिखाया है।

अभिनेत्री मधुबाला की अधूरी ख़्वाइश

बिमल रॉय के निर्देशन में काम करने की ख्वाइश उस ज़माने के सभी कलाकारों की थी। इसी में नाम आता है मशहूर अभिनेत्री मधुबाला का।मधुबाला बिमल रॉय की फ़िल्म ‘बिराज बहू’ में काम करना चाहती थीं और अपनी इस ख्वाइश को पूरा करने के लिए वो कई बार बिमल रॉय के दफ़्तर के चक्कर लगाया करती थी लेकिन बिमल उन्हें कास्ट नहीं कर पाए। मधुबाला को अंतिम वक़्त तक इस बात का अफ़सोस रहा।

सत्यजीत रे को किया प्रेरित

सत्यजित राज सिनेमा की दुनिया के वो सितारे हैं जिनकी फिल्मी नए दौर के फिल्मकार के लिए आदर्श है। लेकिन किसी समय सत्यजित रे ने बिमल रॉय के साथ काम करने को अपना सौभाग्य माना था। सत्यजीत रे ने कहा था कि बिमल रॉय के साथ काम करना उनके लिए एक शिक्षा थी। सत्यजीत रे के नजरिए से बिमल रॉय ने ग्रामीण बंगाल के मूल चरित्र को पकड़ लिया था। उनका मानना था की बिमल रॉय जैसे निर्देशक के साथ काम करना उनके शुरुआती सालों में अहम था।

शोध एवं लेखन – बसुन्धरा कुमारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *