
भारतीय थल सेना के पहले फील्ड मार्शल कोडंडेरा मदप्पा करियप्पा इतिहास के ऐसे जाबाज़ नायक जिन्होंने आज़ाद भारत के भारतीय सेना की कमान अपने हाथों में ली थी। 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कुर्ग प्रांत में जन्मे करियप्पा जी ने इंदौर आर्मी ट्रेनिंग स्कूल में अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी जिसके बाद उन्हें वर्ष 1919 में सेना में कमीशन मिला और उनकी नियुक्ति ब्रिटिश भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर हो गई।

कैसे जुड़ा है करियप्पा से भारतीय सेना दिवस
15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस मनाए जाने के पीछे के एम करियप्पा जी की विशेष भूमिका है। आज ही के दिन 200 सालों के ब्रिटिश शासन के बाद किसी भारतीय अफ़सर के हाथों में भारतीय सेना की कमान सौंपी गई। फील्ड मार्शल के एम करियप्पा ने जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। करियप्पा आजाद भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ थे। करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण करने के उपलक्ष्य में ही हर साल भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।
अनुशासन और शिष्टाचार के अनुयाई थे करियप्पा
के एम करियप्पा ने अपने जीवन काल में हमेशा अनुशासन और शिष्टाचार का पालन किया। फील्ड में सैनिकों को संबोधन देना हो या खाने की मेज़ पर भोजन करने के लिए बैठना, करियप्पा हमेशा अपनी वेश भूषा के नियमों का पालन करते थे। अपने मित्र और परिवार जनों को भी वे अनुशासन का पाठ पढ़ाते थे।

जब फील्डमार्शल के सामने दर्द ने घुठने टेक दिए
ये बात उस वक्त की है जब सरकार ने जनरल करियप्पा को फील्डमार्शल बनाने की घोषणा की थी लेकिन जिस दिन ये कार्यक्रम होना था, उस दिन करियप्पा के दाहिने पैर की छोटी उंगली में बहुत दर्द था। इसके बावजूद उन्होंने हमेशा की तरह अपनी ड्रेस कोड को पहना और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी से देश के पहले फील्ड मार्शल की उपाधि ली।
शोध एवं लेखन – बसुन्धरा कुमारी