Mohan Rakesh Birth Anniversary : आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार मोहन राकेश

आख़िर आदमी के पास एक ही तो ज़िंदगी होती है,
प्रयोग के लिए भी और जीने के लिए भी.!

– मोहन राकेश

‘नई कहानी’ आंदोलन के नायकों में शामिल मोहन राकेश, आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कथाकार थे। इन्होंने अपने कहानियों में मध्यम वर्गीय परिवार को आगे रखा। शहरीकरण के कारण कैसे आदमी अपने जीवन मूल्यों को नजरंदाज करता है, इसका उदाहरण हमें मोहन राकेश की रचनाओं में बखूबी मिलता है। मोहन राकेश ने अपनी लेखनी विधा में हर तरह का प्रयोग किया। उन्होंने उपन्यास, लघु कहानी, यात्रा वृत्तांत, आलोचना, संस्मरण, और नाटक में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हिंदी नाटकों में भारतेन्दु और प्रसाद जैसे रचनाकारों के बाद मोहन राकेश का नाम ही आता है।

मदन मोहन गुगुलानी कैसे बने मोहन राकेश

मोहन राकेश का बचपन का नाम मदन मोहन गुगुलानी था पर जब उन्होंने लिखना शुरू किया तो अपना नाम मोहन राकेश रख लिया और उनके चाहने वाले उन्हें इसी नाम से पहचाननें लगे। 1968 मोहन राकेश के लिए सुनहरा साल था। इसी साल में उन्हें उनकी नाट्य लेखनी ‘आषाढ़ का एक दिन ‘ और ‘आधे-अधूरे’ के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इन दोनों ही नाटकों में उन्होंने पारिवारिक जीवन में होने वाले सुख – दुख पर पाठकों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है।

मोहन राकेश की कुछ अनोखी रचनाएं
कहानी संग्रह – नए बादल, फौलाद का आकाश,पहचान।
उपन्यास – अंधेरे बंद कमरे, कापता हुआ दरिया।
नाटक – लहरों के राजहंस, आधे अधूरे।

शोध एवं लेखन – बसुन्धरा कुमारी

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