Mohammed Rafi 100th Birth Anniversary : जब 1948 में भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने दिया था रजत पदक, 20 से ज्यादा भाषाओं में स्वर की गुंज

लिखे जो ख़त तुझे…, अभी ना जाओ छोड़कर…, पुकारता चला हूँ मैं…, क्या हुआ तेरा वादा… जैसे रुह से उठे सुर इबादत भी बने और मोहब्बत के दिलकश अहसास भी। दुनिया ने नाम दिया किंग ऑफ मेलोडी। मोहम्मद रफ़ी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के मुस्लिम परिवार में हुआ था। रफ़ी साहब ने अपनी रमणीक आवाज़ से समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। रफ़ी साहब को शहंशाह – ए – तरन्नुम भी कहा जाता था। अपने संगीत सफर में रफ़ी साहब ने 5000 से ज्यादा गाने गाए। हिन्दी के साथ – साथ रफ़ी साहब ने 20 से ज्यादा भाषाओं में अपनी आवाज़ दी।

ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं…

रफ़ी साहब ने अपना पहला गाना 1944 में एक पंजाबी फ़िल्म ‘गुल बलोच’ के लिए गाया था। फिर 1946 में उन्होंने बम्बई आने का फैसला किया। संगीतकार नौशाद ने फ़िल्म ‘पहले आप’ में गाने का मौका दिया। उसके बाद से तो जैसे रफ़ी साहब के आवाज़ का दिवाना हर कोई बनता चला गया। रफ़ी साहब को फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ में गाये गीत ‘तेरा खिलौना टुटा बालक…’ से खुब शौहरत मिली। सफलता ऐसा की ओ. पी. नय्यर ने 1950 और 1960 के दशक में अपने अधिकांश गानों के लिए मोहम्मद रफी को मौका दिया। मोहम्मद रफ़ी ने अपने फिल्मी सफर में कई ऐसे गाने गाए जो आज भी सदाबहार लगते है। फिल्म ‘हीर रांझा’ का ‘ये दुनिया ये महफिल…’, फिल्म ‘पगला कहीं का’ में गीत ‘तुम मुझे युँ भुला ना पाओगे…, फिल्म ‘सावन भादौं’ में ‘कान में झुमका…’, फिल्म ‘पाकीजा’ का ‘इतना तो याद है मुझे…’ जैसी गीतों ने रफ़ी साहब को स्टार बना दिया।

के एल सहगल ने कहा – ये लड़का एक दिन बड़ा गायक बनेगा…

वर्ष 1937 में मात्र 13 साल की उम्र में रफ़ी साहब ने ऑल – इंडिया एक्जीबिशन, लाहौर में अपनी पहली पब्लिक परफॉर्मेंस दी थी। गाना सुनने बैठे दर्शकों में एक नाम एल सहगल की भी थे। जिन्होंने कहा था, ये लड़का एक दिन बड़ा गायक बनेगा…। जिसके बाद डायरेक्टर श्याम सुंदर की मदद से उन्हें फिल्मों में गाने का मौका मिल गया।

नेहरु जी ने दिया था रजत पदक

वर्ष 1948 में भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ पर भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने रफ़ी साहब को रजत पदक से सम्मानित किया था। 1967 में रफ़ी साहब को भारत सरकार ने पद्म श्री से सम्मानित किया। 1977 में वो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हुए। साथ ही वर्ष 1960, 1961, 1964, 1968 और 1977 में फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम किया।

शोध एवं लेखन – अभिनंदन द्विवेदी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *