
मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी लिखते हैं की “रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई”। हिंदी सिनेमा के शीर्ष निर्माता और निर्देशक श्याम बेनेगल साहब का दिनांक 23 दिसंबर को शाम 6 : 38 मिनट पर निधन हो गया। उनकी उम्र 90 वर्ष थी। मीडिया रिपोर्ट की माने तो दो दिन पहले श्याम साहब को घर में गिरने से भारी चोट लगी थी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। निर्देशक श्याम बेनेगल किडनी संबंधित समस्याओं से ग्रसित थे। दो दिन से कोमा में रहे श्याम साहब की सोमवार शाम में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई।
बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई
इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया
ख़ालिद शरीफ़
क्रोनिक किडनी से हुई मौत, बेटी ने दी जानकारी
निर्देशक और निर्माता श्याम बेनेगल साहब कई वर्षों से क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे। श्याम साहब की बेटी पिया ने बताया की उनके पिता और फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का क्रोनिक क्रिडनी रोग से 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वो मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार शाम 6 : 38 मिनट पर उनकी मृत्यु हो गयी।

एक बेबाक फिल्म निर्माता के रुप में पहचान
14 सिंतबर 1934 को सिंकदराबाद के त्रिमुलघेरी में जन्मे श्याम बेनेगल की पहचान एक बेबाक फिल्मकार के रुप में रही है। 70 के दशक में श्याम साहब ने उन विषयों पर फिल्म बनाया, जिसे छुने से दुसरे फिल्म निर्माता कतराते थे। श्याम साहब ने अंकुर, मंथन, कलयुग, मम्मो, सरदारी बेगम, सूरज का सातवां घोड़ा, जुबैदा, वेलकम टू सज्जनपुर जैसी फिल्में बनाकर दर्शकों को सिनेमा के नए आयाम से रुबरु कराया। श्याम बेनेगल उन गिने चुने फिल्मकारों में से रहे जो अपनी फिल्म खुद ही लिखते और डायरेक्ट भी करते। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की पहली 4 फिल्मों को खुद डायरेक्ट किया और खुद ही लिखा भी था।
शबाना आज़मी सहित दिग्गज कलाकारों को दिया पहला ब्रेक
फिल्म डायरेक्टर के साथ – साथ स्क्रीन राइटर और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर श्याम साहब को हिंदी सिनेमा का अगुवा माना जाता है। श्याम साहब ने सन 1974 में अपनी सबसे पहली फिल्म ‘अंकुर’ बनाई थी। इसी फिल्म से शबाना आजमी ने फिल्मी पर्दे पर कदम रखा था। स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, अमरीश पुरी, अनंत नाग सहित कई बेहतरीन कलाकार श्याम साहब ने भारतीय सिनेमा को दिए।

18 बार नेशनल अवार्ड, 2005 में दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित
पुरस्कारों की लंबी फेहरिस्त ने श्याम साहब की पहचान को विश्व्यापी बनाया। श्याम बेनेगल साहब को भारत सरकार द्वारा 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 18 बार नेशनल अवॉर्ड और 2005 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित भी हुए।
शोध एवं लेखन – अभिनंदन द्विवेदी