
गोधन पूजा की दंतकथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक समय कुछ बहनें गोधन कूटने जा रही थी, जिसमें से एक बहन ने कहां की मैं गोधन कूटने नहीं जाऊंगी। कारण पूछने पर उसने कहा कि गोधन कूटने से पहले सभी बहनें अपने भाई को शरापति है, ऐसा करना मुझे ठीक नहीं लगता। मैं अपने भाई को नहीं शरापूंगी। मैं अपने भाई को बहुत प्यार -दुलार करती हूं। जब सभी बहनें गोधन कूट कर वापस आईं दो देखा कि उन सभी बहनों के भाई जीवित थे और उस एक बहन का भाई सोया ही रह गया। तब सभी बहनों ने सलाह दिया की जा के गोधन को शरापों और माफ़ी मांगो तब तुम्हारा भाई जीवित हो जाएगा। आउट ठीक ऐसा ही हुआ। गोधन कुटाई के बाद उसका भाई जीवित हो गया।
तब से ऐसा प्रचलन है कि बहनें सुबह गोधन भईया का पूजा करके अपने भाई को रेगनी के कांट से शरापती हैं और वहां से बजरी लाकर अपनी भाई को खिलाती है। बजरी के प्रसाद में सुखा चना, सुखा मटर, मिठाई, नारियल, कटी मिसरी, बताशा होता है।