Jagjit Singh: जगजीत सिंह: एक लोकप्रिय गज़ल गायक।

Jagjit Singh
Jagjit Singh

उसकी हस्ती ही कुछ ऐसी थी कि,

दिल ना देते तो जान चली जाती।

08 फ़रवरी 1941 का को एक ऐसे सख्स का जन्म राजस्थान के गंगानगर में हुआ जिसकी आवाज़ कान तक पहुँचते ही रूह और साँसे दोनों को एक साथ सुकून आ जाये। सुने वाले अक्सर ये कह जाते की सरस्वती साक्षात गले में विरजामन है। क्या चाहत क्या इबादत जब गाते तो दिल को छू जाते। चाहत को इश्क़ की चासनी में घोल देते। इबादत को इरादा में बदल देते। ऐसी थी उनकी गायिकी ।

जगमोहन कैसे बने जगजीत:

हम बात कर रहे जगजीत सिंह एक सफल गायक, संगीतकार, व्यवसायी । हालाकि बचप्पन का नाम उनका जगमोहन था मगर उनके पिता के गुरु के कहने पर उनका नाम जगमोहन से बदलकर जगजीत रख दिया गया। और आगे चलकर सच मे वो जग को इस जमाने लोगो के दिलों को जीत लिए । जगजीत जी पंजाबी परिवार से थे उनके पिता राज्यस्थान में सरकारी कर्मचारी थे। जगजीत जी की प्रारंभिक शिक्षा गंगानगर में ही हुई।

हम लबों से कह ना पाए,

उनसे हाल-ए-दिल कभी,

और वो समझे नहीं,

ये ख़ामोशी क्या चीज़ है,

इश्क कीजिये फिर समझिये,

ज़िन्दगी क्या चीज़ है।

पढ़ाई के दौरान ही उनको पहला प्यार हो गया। पढ़ाई और प्यार जब एक साथ चलने लगता है यो दिल से यही आवाज निकलती है।

जगजीत सिंह का पहला प्यार:

धूप में निकालो घटाओं में नहाकर देखों।

ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखों ।।

किताबें तो हटा दिए जगजीत जी लेकिन इश्क़ का असर ऐसा हुआ कि एक ही कक्षा में दो दो बार असफल हुए। हुस्न की निगाहें नुकीली हो जाये तो जवानी के साइकिल का पंचर होना लाजमी है। उनदिनों जगजीत जी के पास एक साइकिल थी और जब साईकिल लेके निकलते और उस लड़की के घर के सामने से गुजरते तो लड़की किले बिछा के रखी रहती उनकी साइकिल पंचर हो जाती और उसी बहाने लड़की उनको देखा करती और वो उसे देखते ये सिलसिला ऐसे ही कुछ दिनों तक चला एक दिन लड़की के पिता ने जगजीत जी को पकड़ लिया और उनके पिता के पास ले गए और बोले साईकिल और इनको दोनों को ठीक कारा दीजिए तब से वो सिलसिला वही थम गया। उसके बाद वे उच्च शिक्षा के जालंधर चले आये।

IAS ऑफिसर बनाना चाहते थे, जागीत सिंह के पिता उनको:

जगजीत जी के पिता चाहते थे कि वे एक IAS ऑफिसर बने। लेकिन पिता भी संगीत प्रेमी थे इसलिए बचपन से जगजीत जी के संगीत शिक्षा का ध्यान रखे थे। जगजीत सिंह ने गायकी में महारथ पाने के लिए पंडित छगनलाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से स्वर-संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी. जगजीत ने वर्ष 1961 में ऑल इंडिया रेडियो के जालंधर स्टेशन के लिए काम भी किया था. इस दौरान उन्होंने कई गाने गाए और बहुत से गीतों को लिखा भी था, वहीं साल 1962 में जगजीत सिंह ने भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के स्वागत के लिए एक गाना भी लिखा था। साल 1965 में जगजीत सिंह अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई आए थे. उन्होंने यहां पर विज्ञापन जिंगल के एक गायक के रूप में काम किया।

चित्रा सिंह से पहली मुलाक़ात:

मुबई में ही उनकी मुलाकात चित्रा सिंह से एक रिकॉडिंग के दौरान हुई। पहली बार जब चित्रा जी ने जगजीत जी की आवाज सुनी तो साथ मे गाने से माना कर दी थी। तब जगजीत जी को अकेले ही उस गाने की रिकॉर्डिंग करनी पड़ी थी लेकिन बाद में जब चित्रा जी ने उस गीत को सुना तो उन्हें बहुत पसंद आया तब से दोनों साथ मे गाने लगे। धीरे धीरे दोनों के बीच की नजदीकियां बढ़ने लगी। चित्रा जी शादीशुदा थी और उनकी ज़िंदगी में भी कुछ अच्छा नहीं चल रहा था पति की बेवफाई से दुःखी थी। उस समय जगजीत जी उनका सहारा बने और उनसे शादी करने की बात कही। चित्रा जी के पति से तलाक के बाद जगजीत जी चित्रा सिंह से शादी कर ली, चित्रा जी की पहले से एक बेटी थी। और देखते-देखते ही दोनों के आवाज़ का जादू देश-विदेश में फैलने लगा। दुनिया इन दोनों की दीवानी होने लगी।

अगर हम कहे और वो मुस्कुरा दे हम उनके लिए ज़िंदगानी लूट दे ।

हरेक मोड़ पर हम ग़मो को सजा दे। चलो जिंदगी को मोहब्बत बना दे ।।

-Song by Jagjit chitra

27 जुलाई 1990 का दिन जगजीत सिंह और चित्रा के लिए काला दिन:

जगजीत जी के जीवन मे सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन कहते है ना कि दमन में दर्द ना हो तो खुशियां झूठी लगती है। 27 जुलाई 1990 का दिन जगीजीत के जीवन का वो मनहूस दिन था जिसका जिक्र अगर शब्दों में किया जाए तो शब्द भी सिसकिया लेने लगे।जगजीत जी के एक लौते बेटे विवेक सिंह की 18 वर्ष की उम्र में एक कार हादसे में मौत हो गई। और इस ख़बर को सुनते ही जगीजीत जी का दामन दर्द ने ऐसे पकड़ा की छः महीने तक वो किसी से बात नहीं किये। बेटे के जाने के ग़म ने चित्रा जी के गले का सुर ही छीन लिया। चित्रा सिंह गाना ही छोड़ दी।

चिठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहाँ तुम चले गए:

धीरे-धीरे जगजीत जी अपने आप को संभाले दर्द को सुरों में पिरोना शुरू कर दिए और 2 महीने में 40 consert विदेश में किये। बेटे को खोने ग़म जगजीत जी ग़ज़लों और गीतों में साफ साफ दिखने लगा।

Jagjit Singh: जगजीत सिंह के द्वारा गाए गए कुछ गानों के नाम इस प्रकार हैं:

1 (दुश्मन) चिट्ठी ना कोई संदेश

2 (तुम बिन) कोई फरियाद

3 (अर्थ) झुकी झुकी सी नजर’

4 साथ-साथ तुमको देखा तो ये

5 प्रेम कथा होठों से छू लो तुम

6 सरफरोश होश वालों को खबर

कई महान कवियों की रचनाओं को अपने सूरो से जगजीत सिंह जी ने सजाया है:

इतना ही नहीं उन्होंने भारत के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखे गए गीतों को बनाया और रिकॉर्ड भी किया था। मिर्ज़ा ग़ालिब के कलाम को भी उन्होंने ने सुरों से सजाया था। जगजीत सिंह ने अपने जीवनकल में करीब 90 गाने की एलबम को बनाया है। जिस में भजन भी सामिल है जैसे,,, हे राम,अँखिया हरिदर्शन की प्यासी, इत्यादि ।

Jagjit Singh: जगजीत जी ऐसे गायक थे जो रिकॉडिंग के दौरान कुछ और लाइव में कुछ और गाते थे:

निदा फ़ाज़ली, सुदर्शन फ़ाकिर, बशीर बद्र, जावेद अख्तर, गुलज़ार साहब, कैफ़ी आज़मी जैसे अनेकों शायरों का जगजीत ने गुनगुनाया और उनको नया मुकाम दिया। जगजीत जी ऐसे गायक थे जो रिकॉडिंग के दौरान कुछ और लाइव में उसी गाने को अलग तरीके से गाते थे। अगर इस बात को आप मासूस करना चाहते है एक है तो उनका आपको देखकर देखता रह गया। टूगेदर एल्बम में आप सुन सकते है और इसी गाने का लाइव भी आप सुन के जब देखें दोनों में जमी आसमान का फर्क दिखेगा।

Jagjit Singh: जगजीत सिंह को मिले सम्मान और पुरस्कार:

साल 1998 में सिंह को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर सम्मान से नवाजा गया था. वहीं साल 2005 में दिल्ली सरकार द्वारा गालिब अकादमी पुरस्कार भी इनको दिया गया था। वहीं भारत सरकार ने भी साल 2003 में पद्म भूषण से जगजीत सिंह को पुरस्कृत करके सम्मान दिया गया था. इसके अलावा राजस्थान सरकार ने मरणोपरांत जगजीत सिंह को अपना उच्चतम नागरिक पुरस्कार यानी राजस्थान रत्न प्रदान किया था। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी जगजीत सिंह को प्रोत्साहन एवं गायन क्षेत्र में नया मुकाम मिला।

10 अक्टूबर 2011 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में ग़ज़लों के राजा जगजीत सिंह इस दुनिया को अलविदा कह दिए। वहीं साल 2014 में भारत सरकार द्वारा उनकी तस्वीर लगी एक डाक टिकट भी जारी की थी।

लेखक-अलबेला

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