भगीरथ को मिली देवनदी हो तुम।

Priyanshu Shekhar

भगीरथ को मिली देवनदी हो तुम,,,

उबन उदासी भरी दुनिया मे,
सुखी परी प्रेम की नदियां में,
भरपूर जीवन बहाने वाले,
अमृत कलश छलका के,
पुनः जीवंत बनाने वाले,
पथराई आँखों को,
ख्वाब दिखाने वाले,
अलसायी पलको से,
नींद चुराने वाले,
फलित पूण्य कर्मो के वर,
सुनो मेरे प्रियवर,
भगीरथ को मिली देवनदी हो तुम।
इस जहाँ से उस जहाँ तक,
थाम कर चले जो बाहें,
वही साथी वही वही हो तुम,
भगीरथ को मिली देवनदी हो तुम।

-प्रियांशु शेखर

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